राजधीन में बिना लाइसेंस चल रहे क्लीनिक व अस्पताल

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-लोगों की जान से कर रहे खिलवाड़
-तहसील चैक से द्वारिका स्टोर तक आ गई क्लीनिक की बाढ़
-पहाड़ के भोले-भाले लोग जमकर लुट रहे
देहरादून:  दून चिकित्सालय के मेडिकल काॅलेज चिकित्सालय बनते ही तहसील चैराहे से द्वारिका स्टोर तक बिना लाइसेंस के क्लीनिकों व अस्पतालों को बाढ़ सी आ गई है। एम्बुलेंस माफिया के साथ मिलकर इन बिना लाइसेंस के बने क्लीनिकों व अस्पतालों का धंधा खूब फल फूल रहा है। कुछ क्लीनिकों के पास तो डाॅक्टर तक उपलब्ध नहीं है लेकिन यह मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन बिना लाइसेंस के क्लीनिकों व अस्पतालों की जानकारी होते हुए भी शासन- प्रशासन अंजान बना हुआ है।

उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे हैं हालांकि सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल की सुविधाओं की कमी के चलते पर्वतीय क्षेत्रों के भोले भाले लोगों को देहरादून का रूख करना पड़ता है।

लेकिन जानकारी ने होने के चलते यह भोले भाले लोग दून मेडिकल चिकित्सालय के पास खुले बिना लाइसेंस के क्लीनिक व अस्पतालों के चक्कर में फंस जाते है। जहां इनसे मोटा बिल वसूला जाता है। इस बिना लाइसेंस के क्लीनिक व अस्पताल संचालकों ने पैसा वसूली के लिए बांउसर रखे हुए हैं। जो कि पर्वतीय क्षेत्रों के भोले भाले लोगों को डराकर उनसे लाखों का बिल वसूलते हैं।

इन भोले भाले लोगों को इन बिना लाइसेंस वाले क्लीनकि व अस्पतालों के पास एम्बूलेंस माफिया पहुंचाते हैं। इन एम्बूलेंस माफिया को एक मरीज के पहुंचाने के लिए 5 से 10 हजार रूपये तक कमीशन मिलता है।

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