हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गढ़ रैबार स्वर्ण जयंती समारोह

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देहरादून। गढ़ रैबार साप्ताहिक समाचार पत्र के 50 वर्ष के कुशल संपादन के असवसर पर स्वर्ण जयंती मनाई गयी जिसमें साहित्य जगत व पत्रकारिता जगत के लोगों ने शिरकत की। गढ़ रैबार समाचार पत्र के स्वर्ण जयंती समारोह में पुस्तिका का विमोचन मुख्य अतिथि पदमश्री लीलाधर जगूड़ी तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष शक्ति प्रसाद सकलानी द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम समारोह का शुभारंभ मंचासीन सभी सदस्याें के दीप प्रज्वलन से हुआ तत्पश्चात रेखा उनियाल धस्माना ने दैणा हुआ — भजन के साथ सबका मन मोहा। गढ़ रैबार समाचार पत्र के शुरू होनेे से लेकर आज तक के इतिहास पर आधारित दस्तावेज के का विमोचन मंचासीन सदस्यों ने किया।साहित्यकार शक्ति प्रसाद सकलानी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लीलाधर जगूडी ने अपने सम्बोधन में कहा कि गढ़ रैबार 1973 से प्रकाशित हो रहा है, सीमित संसाधनों के चलते गढ़ रैबार ने 50 वर्ष की यात्र पूरी की जिसके लिए श्री सुरेन्द्र भट्ट जी बधाई के पात्र हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा समय के अनुसार परिस्थितियां अलग होती है आज समस्यायें अलग हैं इसलिए अब गढ़ रैबार को नए स्वरूप में भट्ट जी को निकालना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि बृजभूषण गैरोला जो कि एक साहित्यकार के साथ ही वरिष्ठ पत्रकार है, व वर्तमान में डोईवाला क्षेत्र के विधायक भी हैं उन्होंने गढ़ रैबार के स्वर्ण जयंती समारोह पर सभी आगंतुकों को शुभकामनायें दी। साथ ही कहा कि गढ़ रैबार उत्तरकाशी से निकलने वाला प्रथम अखबार है जिसमें उस समय की विपरीत परिस्थितियों में भी क्षेत्रीय जनता की आवाज को मुखरता के साथ छापा जाता था।
साहित्यकार डॉ0 अतुल शर्मा जी ने अपनी कवि सुख हो या दुख हो चलते हम ही जायेंगे—कविता सुनाकर सबका मन मोहा। डॉ0 योगेन्द्र बर्त्वाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि मैं इस पत्रिका के जन्म से ही जुड़ा हूं। उन्होंने कहा कि सुरेन्द्र भट्ट जी तिलोथ आंदोलन में जेल गये और भट्ट जी के जेल जाने के बाद भी हमारे द्वारा इस पत्रिका का सम्पादन किया गया।
पूर्व आई0एस0 चन्द्र सिंह जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि लिखित दस्तावेज को देखकर उन्हें यह आभास हो रहा है कि उन्होंने तीर्थयात्र कर ली है, क्योंकि पत्रिका में उत्तराखण्ड के समस्त तीथस्थलों का विस्तृत वर्णन है।
डॉ0 सुरेन्द्र सिहं मेहरा ने सर्वप्रथम अपने स्वागत भाषण में सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया । मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व मंचासीन सभी सदस्यों को शॉल भेंटकर उनका स्वागत किया गया। लोकगायिका रेखा धस्माना ने अपने गीतों से लोगों का मन मोहा। कार्यक्रम का संचालन डी0पी0 उनियाल ने किया।
संपादक सुरेंद्र भट्ट ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए धन्यवाद दिया तथा अपने वक्तव्य में कहा कि मैं इस योग्य नहीं था क्योंकि मेरा जन्म बडियार गढ़ के थापली ग्राम में हुआ और मैं बचपन में ही उत्तरकाशी अपने स्व0 भाई ज्ञानानंद के संरक्षण में पढ़ने के लिए आया था। इस तरह उत्तरकाशी मेरी कर्मभूमि है मेरे ऊपर बाबा विश्वनाथ की असीम कृपा है जो मैं इस बड़े कार्य को कर सका। उन्होंने कहा कि यदि मेरा कोई दूसरा जन्म हो तो विश्वनाथ की धरती में हो। उन्हाेंने कहा कि मेरे चाचा रतनमणि भट्ट जो कि बहुत बड़े पंडित होने के साथ ही उनका राजशाही के खिलाफ वृहद आंदोलन में योगदान रहा साथ ही उत्तराखण्ड अलग राज्य बनाने के लिए स्व0 इन्द्रमणि बडोनी के साथ भूख हड़ताल की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में आने वाले आंगतुकों के सम्मान में यदि कोई त्रुटि रह गयी हो तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं।
साहित्यकार शक्ति प्रसाद सकलानी ने कार्यक्रम के समापन पर सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर, पुष्पा मंमगाई, वरिष्ठ पत्रकार बी0डी0 शर्मा, पत्रकार राजेश रतूड़ी, बीना उपाध्याय, पत्रकार सोहन रावत,पत्रकार दिगम्बर उपाध्याय, रमा भट्ट, रामचंद्र उपाध्याय, पत्रकार, दिनेश बहुगुणा, अजय रावत, राजेन्द्र रावत, प्रदीप शर्मा सहित अनेक साहित्यजगत के लोग व अन्य  मौजूद थे।

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