शनि प्रदोष व्रत 15 जनवरीः शनि के दोषो से मुक्ति के लिए जाने शुभ योग व पूजा विधि

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महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। कहते हैं कि यह व्रत भगवान शंकर को अतिप्रिय है। इस साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 15 जनवरी, शनिवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं।

साल 2022 में शनि प्रदोष व्रत का तीन बार विशेष संयोग बन रहा है। पहला का पहला शनि प्रदोष व्रत 15 जनवरी को है। इस दिन शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के दोष खत्म हो जाते हैं। शनि प्रदोष व्रत का दूसरा शुभ संयोग 22 अक्टूबर को और तीसरा 5 नवंबर को बनेगा।शास्त्रों के अनुसार, शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति की कामना करने वालों के लिए उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से जीवन में खुशहाली आती है। शनि प्रदोष व्रत रखने वाले भक्तों को भगवान शंकर के साथ शनिदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय-

पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 15 जनवरी को सुबह 12 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ होगी और 16 जनवरी को सुबह 03 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजन का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन पूजन का समय शाम 07 बजकर 26 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। दरअसर 14 जनवरी को सूर्य का शनि की राशि मकर में प्रवेश हुआ है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य और शनि के बीज शत्रुता का संबंध है। ऐसे में इन दोनो ग्रहों से बने अशुभ योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनि प्रदोष पर शिव की पूजा शुभ है। शनि प्रदोष पर शिव पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव और परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा जो लोग शनि साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा से पीड़ित हैं उनके लिए 15 जनवरी का शनि प्रदोष व्रत बेहद खास है. साथ ही पौष मास होने से पूजा का फल कई गुना अधिक मिलेगा।

कैसे करें पूजा:

धर्म शास्त्रों के अनुसार शनि प्रदोष के दिन व्रत, पूजा और दान करने से सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है. साथ ही शारीरिक कष्ट दूर होते हैं. इसके अलावा धन-संपत्ति में भी वृद्धि होती है। ऐसे में इस दिन गरीबों के बीच कपड़े और अन्न दान करना चाहिए. साथ ही जूते-चप्पल दान करने से जाने-अनजाने में हुए पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं. परिणामस्वरुप जीवन सुखमय होता है। वहीं इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक और शनि देव का तेल से अभिषेक करना शुभफलदायी होता है. अभिषेक के बाद जल और तेल को किसी पवित्र नदी में बहा देना चाहिए।

 

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