जानें बसंत पंचमी का शुभ मुहुर्त व पूजा विधि

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बसंत पंचमी पांच फरवरी दिन शनिवार को मनायी जायेगी। इस दिन भगवान विष्णु व मां सरस्वती के पूजन का विशेष महत्व है। माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को बसंत पंचमी मनाया जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी के दिन प्रात: चतुर्थी तिथि प्रात: 6.44 बजे तक के बाद पंचमी तिथि सम्पूर्ण भोग करेगी। शनिवार का दिन है, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र व सिद्ध नामक योग मिल रहा है।
अत: इस दिन बसंत पंचमी सर्वमंगलकारी है। पूजन करने का सर्वोत्तम मुहूर्त समय दोपहर 11.46 बजे से 1.44 बजे तक है। यह पर्व वास्तव में ऋतुराज बसंत की अगवानी की सूचना देता है। इस दिन से होरी तथा धमार गीत प्रारम्भ किये जाते हैं। गेहूं तथा जौ क़ी स्वर्णिम बालियां भगवान को अर्पित क़ी जाती हैं। भगवान विष्णु तथा सरस्वती के पूजन का विशेष महत्व है। बसंत ऋतु कामोद दीपक होती है। इसलिए चरक संहिता कार का कथन है कि इस ऋतु के प्रमुख देवता काम तथा रति है। अतएव काम तथा रति की प्रधानतया पूजन करना चाहिए।भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करके जब उसे संसार में देखते थे तो चारों और सुनसान दिखाई देता था। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। जैसे किसी के वाणी न हो। यह देखकर ब्रह्मा ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमण्डलु से जल छिडक़ा। उन जलकणों के पड़ते ही वृक्ष से एक शक्ति उत्पन्न हुई, जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थीं तथा दोनों हाथों में क्रमश: पुस्तक तथा माला धारण किये हुये थी। ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा तब से उस देवी ने वीणा के मधुर-नाद से सब जीवों को वाणी प्रदान की। इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है। इसलिए जो व्यक्ति मां सरस्वती की पूजा निष्ठा पूर्वक करता है उसे बुद्धि व विद्या की प्राप्ति होती है।

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